9 APR 2016 SHANIVAR PUJA_SHRI SHANIDEVJI
आज इस अंक में हम बताएंगे कि किस तरह शनिदेव की पूजा अर्चना कर उन्हें खुश किया जाए. यह तो हम सभी जानते हैं कि शनि न्याय के देवता है. हमारे कर्मों का फल देने का पूरा कार्यभार शनि देव पर ही है लेकिन कई लोग शनिदेव को एक बुरे देवता के रूप में देखते हैं जो गलत है. शनि देव अगर किसी को उसके बुरे कार्यों की सजा देते हैं तो उसके अच्छे कार्यों के लिए उसका अच्छा फल भी देते हैं. शनि महान हैं उनकी छत्रछाया में आए हर इंसान का कल्याण होता है. तो चलिए पढ़ते हैं शनि व्रत कथा
विधि
यह पूजा और व्रत शनिदेव को प्रसन्न करने हेतु होता है.
काला तिल, तेल, काला वस्त्र, काली उड़द शनि देव को अत्यंत प्रिय है. इनसे ही पूजा होती है.
शनि देव का स्त्रोत पाठ करें. शनिस्त्रोत
शनिवार का व्रत यूं तो आप वर्ष के किसी भी शनिवार के दिन शुरू कर सकते हैं परंतु श्रावण मास में शनिवार का व्रत प्रारम्भ करना अति मंगलकारी है । इस व्रत का पालन करने वाले को शनिवार के दिन प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके शनिदेव की प्रतिमा की विधि सहित पूजन करनी चाहिए। शनि भक्तों को इस दिन शनि मंदिर में जाकर शनि देव को नीले लाजवन्ती का फूल, तिल, तेल, गुड़ अर्पण करना चाहिए। शनि देव के नाम से दीपोत्सर्ग करना चाहिए।
शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा के पश्चात उनसे अपने अपराधों एवं जाने अनजाने जो भी आपसे पाप कर्म हुआ हो उसके लिए क्षमा याचना करनी चाहिए।शनि महाराज की पूजा के पश्चात राहु और केतु की पूजा भी करनी चाहिए। इस दिन शनि भक्तों को पीपल में जल देना चाहिए और पीपल में सूत्र बांधकर सात बार परिक्रमा करनी चाहिए। शनिवार के दिन भक्तों को शनि महाराज के नाम से व्रत रखना चाहिए।
शनि व्रत कथा
एक समय सभी नवग्रहओं : सूर्य, चंद्र, मंगल, बुद्ध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु में विवाद छिड़ गया, कि इनमें सबसे बड़ा कौन है? सभीआपसं ऎंल ड़ने लगे, और कोई निर्णय ना होने पर देवराज इंद्र के पास निर्णय कराने पहुंचे. इंद्र इससे घबरा गये, और इस निर्णय को देने में अपनी असमर्थता जतायी. परन्तु उन्होंने कहा, कि इस समय पृथ्वी पर राजा विक्रमादित्य हैं, जो कि अति न्यायप्रिय हैं. वे ही इसका निर्णय कर सकते हैं. सभी ग्रह एक साथ राजा विक्रमादित्य के पास पहुंचे, और अपना विवाद बताया। साथ ही निर्णय के लिये कहा। राजा इस समस्या से अति चिंतित हो उठे, क्योंकि वे जानते थे, कि जिस किसी को भी छोटा बताया, वही कुपित हो उठेगा. तब राजा को एक उपाय सूझा. उन्होंने सुवर्ण, रजत, कांस्य, पीतल, सीसा, रांगा, जस्ता, अभ्रक और लौह से नौ सिंहासन बनवाये, और उन्हें इसी क्रम से रख दिय. फ़िर उन सबसे निवेदन किया, कि आप सभी अपने अपने सिंहासन पर स्थान ग्रहण करें. जो अंतिम सिंहासन पर बठेगा, वही सबसे छोटा होगा. इस अनुसार लौह सिंहासन सबसे बाद में होने के कारण, शनिदेव सबसे बाद में बैठे. तो वही सबसे छोटे कहलाये. उन्होंने सोच, कि राजा ने यह जान बूझ कर किया है. उन्होंने कुपित हो कर राजा से कहा “राजा! तू मुझे नहीं जानता. सूर्य एक राशि में एक महीना, चंद्रमा सवा दो महीना दो दिन, मंगल डेड़ महीना, बृहस्पति तेरह महीने, व बुद्ध और शुक्र एक एक महीने विचरण करते हैं. परन्तु मैं ढाई से साढ़े-सात साल तक रहता हुं. बड़े बड़ों का मैंने विनाश किया है. श्री राम की साढ़े साती आने पर उन्हें वनवास हो गया, रावण की आने पर उसकी लंका को बंदरों की सेना से परास्त होना पढ़ा.अब तुम सावधान रहना. ” ऐसा कहकर कुपित होते हुए शनिदेव वहां से चले. अन्य देवता खुशी खुशी चले गये. कुछ समय बाद राजा की साढ़े साती आयी. तब शनि देव घोड़ों के सौदागर बनकर वहां आये. उनके साथ कई बढ़िया घड़े थे. राजा ने यह समाचार सुन अपने अश्वपाल को अच्छे घोड़े खरीदने की अज्ञा दी. उसने कई अच्छे घोड़े खरीदे व एक सर्वोत्तम घोड़े को राजा को सवारी हेतु दिया. राजा ज्यों ही उसपर बैठा, वह घोड़ा सरपट वन की ओर भागा. भषण वन में पहुंच वह अंतर्धान हो गया, और राजा भूखा प्यासा भटकता रहा. तब एक ग्वाले ने उसे पानी पिलाया. राजा ने प्रसन्न हो कर उसे अपनी अंगूठी दी. वह अंगूठी देकर राजा नगर को चल दिया, और वहां अपना नाम उज्जैन निवासी वीका बताया. वहां एक सेठ की दूकान उसने जल इत्यादि पिया. और कुछ विश्राम भी किया. भाग्यवश उस दिन सेठ की बड़ी बिक्री हुई. सेठ उसे खाना इत्यादि कराने खुश होकर अपने साथ घर ले गया. वहां उसने एक खूंटी पर देखा, कि एक हार टंगा है, जिसे खूंटी निगल रही है. थोड्क्षी देर में पूरा हार गायब था। तब सेठ ने आने पर देखा कि हार गायब जहै। उसने समझा कि वीका ने ही उसे चुराया है। उसने वीका को कोतवाल के पास पकड्क्षवा दिया। फिर राजा ने भी उसे चोर समझ कर हाथ पैर कटवा दिये। वह चैरंगिया बन गया।और नगर के बहर फिंकवा दिया गया। वहां से एक तेली निकल रहा था, जिसे दया आयी, और उसने एवीका को अपनी गाडी़ में बिठा लिया। वह अपनी जीभ से बैलों को हांकने लगा। उस काल राजा की शनि दशा समाप्त हो गयी। वर्षा काल आने पर वह मल्हार गाने लगा। तब वह जिस नगर में था, वहां की राजकुमारी मनभावनी को वह इतना भाया, कि उसने मन ही मन प्रण कर लिया, कि वह उस राग गाने वाले से ही विवाह करेगी। उसने दासी को ढूंढने भेजा। दासी ने बताया कि वह एक चौरंगिया है। परन्तु राजकुमारी ना मानी। अगले ही दिन से उठते ही वह अनशन पर बैठ गयी, कि बिवाह करेगी तोइ उसी से। उसे बहुतेरा समझाने पर भी जब वह ना मानी, तो राजा ने उस तेली को बुला भेजा, और विवाह की तैयारी करने को कहा।फिर उसका विवाह राजकुमारी से हो गया। तब एक दिन सोते हुए स्वप्न में शनिदेव ने रानजा से कहा: राजन्, देखा तुमने मुझे छोटा बता कर कितना दुःख झेला है। तब राजा नेउससे क्षमा मांगी, और प्रार्थना की , कि हे शनिदेव जैसा दुःख मुझे दिया है, किसी और को ना दें। शनिदेव मान गये, और कहा: जो मेरी कथा और व्रत कहेगा, उसे मेरी दशा में कोई दुःख ना होगा। जो नित्य मेरा ध्यान करेगा, और चींटियों को आटा डालेगा, उसके सारे मनोरथ पूर्ण होंगे। साथ ही राजा को हाथ पैर भी वापस दिये। प्रातः आंख खुलने पर राजकुमारी ने देखा, तो वह आश्चर्यचकित रह गयी। वीका ने उसे बताया, कि वह उज्जैन का राजा विक्रमादित्य है। सभी अत्यंत प्रसन्न हुए। सेतठ ने जब सुना, तो वह पैरों पर गिर्कर क्षमा मांगने लगा। राजा ने कहा, कि वह तो शनिदेव का कोप था। इसमें किसी का कोई दोष नहीं। सेठ ने फिर भी निवेदन किया, कि मुझे शांति तब ही मिलेगी जब आप मेरे घर चलकर भोजन करेंगे। सेठ ने अपने घर नाना प्रकार के व्यंजनों ने राजा का सत्कार किया। साथ ही सबने देखा, कि जो खूंटी हार निगल गयी थी, वही अब उसे उगल रही थी। सेठ ने अनेक मोहरें देकर राजा का धन्यवाद किया, और अपनी कन्या श्रीकंवरी से पाणिग्रहण का निवदन किया। राजा ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। कुछ समय पश्चात राजा अपनी दोनों रानियों मनभावनी और श्रीकंवरी को साभी दहेज सहित लेकर उज्जैन नगरी को चले। वहां पुरवासियों ने सीमा पर ही उनका स्वागत किया। सारे नगर में दीपमाला हुई, व सबने खुशी मनायी। राजा ने घोषणा की , कि मैंने शनि देव को सबसे छोटा बताया थ, जबकि असल में वही सर्वोपरि हैं। तबसे सारे राज्य में शनिदेव की पूजा और कथा नियमित होने लगी। सारी प्रजा ने बहुत समय खुशी और आनंद के साथ बीताया। जो कोई शनि देव की इस कथा को सुनता या पढ़ता है, उसके सारे दुःख दूर हो जाते हैं। व्रत के दिन इस कथा को अवश्य पढ़ना चाहिये।
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Shani Dev ji ki Aarti,शनि देव जी की आरती. Arti shree Shanivar maharaj ki
शनि पीड़ा या कुण्डली में शनि की महादशा, साढ़े साती या ढैय्या में शनि के अशुभ प्रभावों से बचाव के लिए शनि व्रत रखने का भी बहुत महत्व बताया गया है। चूंकि हर धार्मिक कर्म का शुभ फल तभी मिलता है, जब उसका पालन विधिवत किया जाए। इसी कड़ी में जानिए शनि भक्ति के लिए स्नान, पूजा, दान और आहार कैसा हो?
स्नान -
शनि उपासना के लिए सबेरे शरीर पर हल्का तेल लगाएं। बाद में शुद्ध जल में पवित्र नदी का जल, काले तिल और सौंफ मिलाकर स्नान करें।
शनि पूजा -
शनिदेव को गंगाजल से स्नान कराएं। तिल या सरसों का तेल, काले तिल, काली उड़द, काला वस्त्र, काले या नीले फूल के साथ तेल से बने व्यंजन का नैवेद्य चढ़ाएं। ‘ऊँ शं शनिश्चराय नम: इस मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें।
दान – शनि व्रत में शनि की पूजा के साथ दान भी जरूरी है। शनि के कोप की शांति के लिए शास्त्रों में बताई गई शनि की इन वस्तुओं का दान करें। उड़द, तेल, तिल, नीलम रत्न, काली गाय, भैंस, काला कम्बल या कपड़ा, लोहा या इससे बनी वस्तुएं और दक्षिणा किसी ब्राह्मण को दान करना चाहिए।
खान-पान – शनि की अनुकूलता के लिए रखे गए व्रत में यथासंभव उपवास रखें या एक समय भोजन का संकल्प लें। इस दिन शुद्ध और पवित्र विचार और व्यवहार बहुत जरूरी है। आहार में दूध, लस्सी और फलों का रस लेवें। अगर व्रत न रख सकें तो काले उड़द की खिचड़ी में काला नमक मिलाकर या काले उड़द का हलवा खा सकते हैं।
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शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। मनुष्य द्वारा किए गए पापों का दंड शनि देव ही देते हैं। शनि देव की आराधना करने से गृह क्लेश समाप्त हो जाता है तथा घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। इनकी उपासना से कार्यों में आने वाली दिक्कतें खत्म हो जाती हैं।
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भगवान शनि देव के मंत्र (Lord Shani Dev Mantra in Hindi)
शनि देव के मंत्र (Mantra of Lord Shani Dev)
शनि देव का तांत्रिक मंत्र ( Tantarik Mantra of Shani Dev)
ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः। Om pram prim praum sah shanaye namah
*************************************************************** शनि देव के वैदिक मंत्र (Vedic Mantra of Shani Dev)
ऊँ शन्नो देवीरभिष्टडआपो भवन्तुपीतये। Om Shanno devīrabhistdaapo bhavantupītaye
*************************************************************** शनि देव का एकाक्षरी मंत्र (Ekashari mantra of Shani Dev)
ऊँ शं शनैश्चाराय नमः।
Om Sham Shaneicharaya namah
*************************************************************** शनि देव का गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra of Shani Dev)
ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।। Om bhagabhavaya vidmahaim mrtyurupaya dhimahi tanno Sanih prachodyat
***************************************************************
भगवान शनिदेव के अन्य मंत्र (Other Mantra of Bhagwan Shani Dev)
ऊँ श्रां श्रीं श्रूं शनैश्चाराय नमः।
ऊँ हलृशं शनिदेवाय नमः।
ऊँ एं हलृ श्रीं शनैश्चाराय नमः।
ऊँ मन्दाय नमः।।
ऊँ सूर्य पुत्राय नमः।।
Om Sram Shrim Shrum Shaanaicharaya namah.
Om halesaam Sanidevaaya namah.
Om em hair Shrim Sanaicharaya namah.
Om mandaya namah
Om surya putraya namah..
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साढ़ेसाती से बचने के मंत्र (Shani Mantra for Shani Dosha)
शनि देव की साढ़ेसाती के प्रकोप से बचने के लिए शनि देव को इन मंत्रों द्वारा प्रसन्न करना चाहिए:
ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम । उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात ।।
ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।।
ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
om tryambakam yajamahe sugandhim pusti-vardhanam urvaruka miva bandhanan mrtyor muksiya mamrtat.
Om shannodevirabhistaya aapo bhavantu pitaye Shanyorabhisravantu nah, Om sam shanaiscaraya namah. Om nIlanjanasamabhasam raviputram yamagrajam Chayamartandasambhutam tam namami shanaischaram.
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क्षमा के लिए शनि मंत्र (Shani Mantra in Hindi)
निम्न मंत्रों के जाप द्वारा शनि देव से अपने गलतियों के लिए क्षमा याचना करें।
अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेहर्निशं मया। दासोयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।
गतं पापं गतं दु: खं गतं दारिद्रय मेव च। आगता: सुख-संपत्ति पुण्योहं तव दर्शनात्।।
Aparadhasahastrani kriyanteharnisam maya Dasoyamiti maa matva kshamasva paramesvara.
Gatam papam gatam du Kham gatam daridraya meva ch Agatah Sukha- sampatti punyoham tava darsanat.
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अच्छे स्वास्थ्य के लिए शनि मंत्र (Shani Mantra for Health in Hindi)
शनिग्रह को शांत करने तथा रोग को दूर करने के लिए शनि देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:
ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा। कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा।। शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं।।
Dhvajini dhamini chaiva kanvali kalahapriha Kankati kalahi chautha turangi mahishi ajaa.
shanairnamani patninametani sanjapan puman Duhkhani nasyennityam saubhagyamedhate sukhaman.
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शनि देव की पूजा के समय निम्न मंत्रों का प्रयोग करना चाहिए:
भगवान शनिदेव की पूजा करते समय इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें चन्दन लेपना चाहिए-
भो शनिदेवः चन्दनं दिव्यं गन्धादय सुमनोहरम् | विलेपन छायात्मजः चन्दनं प्रति गृहयन्ताम् ||
Bhagvan Shanidev ki pooja karte samay is mantra ko padhte huye unhe chandan lepna chahiye-
Bho Shanidevh Chandanam Divyam Gandhaaday Sumanoharam || Vilepan Chhayaatmajah Chandanam Prati Grihayantaam ||
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भगवान शनिदेव की पूजा में इस मंत्र का जाप करते हुए उन्हें अर्घ्य समर्पण करना चाहिए-
ॐ शनिदेव नमस्तेस्तु गृहाण करूणा कर | अर्घ्यं च फ़लं सन्युक्तं गन्धमाल्याक्षतै युतम् ||
Bhagvan Shanidev ki pooja me is mantra ka jaap karte huye unhe arghya samarpan karna chahiye-
Om Shanidev Namastestu Grihaan Karunaa Kar | Arghyam Ch Falam Sanyuktam Gandhmaalyaakshatai Yutam ||
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इस मंत्र को पढ़ते हुए भगवान श्री शनिदेव को प्रज्वलीत दीप समर्पण करना चाहिए-
साज्यं च वर्तिसन्युक्तं वह्निना योजितं मया | दीपं गृहाण देवेशं त्रेलोक्य तिमिरा पहम्. भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने ||
Is mantra ko padhte huye Bhagvan Shri Shanidev ko prajvalit deet samarpan karna chahiye-
Saajyam ch vartisanyuktam vahninaa yojitam maya | deepam grihaan devesham trelokya timiraa paham ||
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इस मंत्र को पढ़ते हुए भगवान शनिदेव को यज्ञोपवित समर्पण करना चाहिए और उनके मस्तक पर काला चन्दन (काजल अथवा यज्ञ भस्म) लगाना चाहिए-
परमेश्वरः नर्वाभस्तन्तु भिर्युक्तं त्रिगुनं देवता मयम् | उप वीतं मया दत्तं गृहाण परमेश्वरः ||
Is mantra ko padhte huye Bhagvan Shanidev ko yagyopavit samarpan karna chahiye aur unke mastak par kala chandan (kajal aur yagya bhasm) lagana chahiye-
Parmeshwarah Narvaabhastantu Bhiryuktam Trigunam Devta Mayam | Up Veetam Maya Dattam Grihaan Parmeshwarah ||
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इस मंत्र को पढ़ते हुए भगवान श्री शनिदेव को पुष्पमाला समर्पण करना चाहिए-
नील कमल सुगन्धीनि माल्यादीनि वै प्रभो | मयाहृतानि पुष्पाणि गृहयन्तां पूजनाय भो ||
Is mantra ko padhte huye Bhagvan Shri Shanidev ko pushpmala samarpan karna chahiye-
Neel Kamal Sugandheeni Maalyaadeeni Vai Prabho | Mayahritaani Pushpaani Grihayantaam Poojanaay Bho ||
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भगवान शनि देव की पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करते हुए उन्हें वस्त्र समर्पण करना चाहिए-
शनिदेवः शीतवातोष्ण संत्राणं लज्जायां रक्षणं परम् | देवलंकारणम् वस्त्र भत: शान्ति प्रयच्छ में ||
Bhagvan Shanidev ki pooja karte samay is mantra ka jaap karte huye unhe vastra samarpan karna chahiye-
Shanidevah Sheetavaatoshna Santraanam Rakshanam Param | Devlankaaranam Vastra Bhatahah Shatni Prayachchha Men ||
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शनि देव की पूजा करते समय इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें सरसों के तेल से स्नान कराना चाहिए-
भो शनिदेवः सरसों तैल वासित स्निगधता | हेतु तुभ्यं-प्रतिगृहयन्ताम् ||
Shani Dev ki pooja karte samay is mantra ko padhte huye unhe sarso ke tel se snaan karana chahiye-
Bho Shanidevah Sarso Tail Vaasit Snigadhataa | Hetu Tubhyam-Pratigrihayantaam ||
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सूर्यदेव पुत्र भगवान श्री शनिदेव की पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करते हुए पाद्य जल अर्पण करना चाहिए-
ॐ सर्वतीर्थ समूदभूतं पाद्यं गन्धदिभिर्युतम् | अनिष्ट हर्त्ता गृहाणेदं भगवन शनि देवताः ||
Suryadev putra Bhagvan Shri Shanidev ki pooja karte samay is mantra ka jaap karte huye padyajal arpan karna chahiye-
Om Sarvtirth Samoodabhootam Padyam Gandhdibhiryutam | Anisht Hartta Grihanedam Bhagvan Shani Devtaah ||
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भगवान शनिदेव की पूजा में इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें आसन समर्पण करना चाहिए-
ॐ विचित्र रत्न खचित दिव्यास्तरण संयुक्तम् | स्वर्ण सिंहासन चारू गृहीष्व शनिदेव पूजितः ||
Bhagvan Shanidev ki pooja me is mantra ko padhte huye unhe aasan samarpan karna chahiye-
Om Vichitra Ratna Khachit Devyaastaran Sanyuktam | Swarn Singhasan Chaaru Griheeshv Shanidev Poojitah ||
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इस मंत्र के द्वारा भगवान श्री शनिदेव का आवाहन करना चाहिए-
नीलाम्बरः शूलधरः किरीटी गृध्रस्थित स्त्रस्करो धनुष्टमान् | चतुर्भुजः सूर्य सुतः प्रशान्तः सदास्तु मह्यां वरदोल्पगामी ||
Is mantra ke dwara Bhagvan Shri Shanidev ka aavahan karna chahiye-
Neelambarah Shooldharah Kireetee Gridhrasthit Straskaro Dhanushtamaan | Chaturbhujah Surya Sutah Prashantah Sadastu Mahyaam Vardolpagaamee ||
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इन्हें भी पढ़ेः-
शनि देव की आरती पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें (Shani dev Aarti in Hindi) शनि देव चलीसा पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें (Shani dev Chalisa In Hindi) शनि देव के 108 नाम पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें (108 Name of Lord Shani in Hindi)
- See more at: http://dharm.raftaar.in/religion/hinduism/mantra/shani-dev#sthash.bAXJTftl.dpuf
शनि अमावस्या हिन्दी देवनागरी में पढ़ें।
shani amavasya
vivarankisi mah men jab amavasyashanivar ke din padati hai to ise 'shani amavasya' kaha jata hai. bhagavan shani devki kripa pane ka yah sarvottam din mana jata hai.
any nam'shanishchari amavasya', 'pitrikaryeshu amavasya'
mukhy devatashani dev
shraddh karmshani amavasya ke din shraddh adi karm poorn karane se vyakti pitridosh adi se mukt ho jata hai aur use karyon men saphalata milati hai.
vishesh'shani stotr' ka path karake shani ki koee bhi vastu, jaise- kala til, lohe ki vastu, kala chana, knbal, nila phool dan karane se shani dev varshbhar kashton se bachae rakhate hain.
snbndhit lekhshani jaynti, shani dev, soory dev, hanuman, rahu, shani chalisa, hanuman chalisa
any janakarishani dev samast grahon ke mukhy niyntrak aur nyayadhish hain. nyayadhish hone ke nate ve kisi ko bhi apani jholi se kuchh nahin dete. ve to keval shubh-ashubh karmon ke adhar par hi manushy ko samay-samay par unake karmon ke anusar hi phal dete hain.
shani amavasya ke din bhagavan soory dev ke putr shani dev ki aradhana karane se samast manokamanaen poorn hoti hain. kisi mah ke jis shanivar ko amavasya padati hai, usi din 'shani amavasya' manaee jani hai. yah 'pitrikaryeshu amavasya' aur 'shanishchari amavasya' ke roop men bhi jani jati hai. 'kalasarp yog', 'dhaiyya' tatha 'sadhesati' sahit shani snbndhi anek badhaon se mukti pane ke lie 'shani amavasya' ek durlabh din v mahattvapoorn samay hota hai. pauranik dharm grnthon aur hindoo manyataon men 'shani amavasya' ki kafi mahatta batalaee gee hai. is din vrat, upavas, aur dan adi karane ka bada puny milata hai.
bhagy vidhata shani dev
bhagavan soory dev ke putr shani dev ka nam sunakar log saham se jate hai, lekin aisa kuchh bhi nahin hai. yah sahi hai ki shani dev ki ginati ashubh grahon men hoti hai, lekin shani dev manushyon ke karmon ke anusar hi phal dete hai. bhagavan shani dev bhagy vidhata hain. yadi nishchhal bhav se shani dev ka nam liya jaye to vyakti ke sabhi kasht aur du:kh door ho jate hain. shri shani dev to is charachar jagat men karmaphal data hain, jo vyakti ke karm ke adhar par usake bhagy ka phaisala karate hain. is din shani dev ka poojan saphalata prapt karane evn dushparinamon se chhutakara pane hetu bahut uttam hota hai. is din shani dev ka poojan sabhi manokamanaen poori karata hai. 'shanishchari amavasya' par shani dev ka vidhivat poojan kar sabhi log paryapt labh utha sakate hain. shani dev kroor nahin, apitu kalyanakari hain. is din vishesh anushthan dvara pitridosh aur kalasarp doshon se mukti paee ja sakati hai. isake atirikt shani ka poojan aur tailabhishek kar shani ki 'sadhesati', 'dhaiyya' aur 'mahadasha' janit snkat aur apadaon se bhi mukti paee ja sakati hai.
shani dev ko paramapita paramatma ke jagadadhar svaroop 'kachchhap' ka grahavatar aur 'koormavatar' bhi kaha gaya hai. vah maharshi kashyap ke putr soory dev ki sntan hain. unaki mata ka nam 'chhaya' hai. inake bhaee 'manu savarni', 'yamaraj', 'ashvinikumar' aur bahan ka nam 'yamuna' aur 'bhadra' hai. unake guru svayn bhagavan 'shiv' hain aur unake mitr hain- 'kal bhairav', 'hanuman', 'budh' aur 'rahu'. samast grahon ke mukhy niyntrak hain shani dev. unhen grahon ke nyayadhish mndal ka pradhan nyayadhish kaha jata hai. shani dev ke nirnay ke anusar hi sabhi grah manushy ko shubh aur ashubh phal pradan karate hain. nyayadhish hone ke nate shani dev kisi ko bhi apani jholi se kuchh nahin dete. vah to keval shubh-ashubh karmon ke adhar par hi manushy ko samay-samay par vaisa hi phal dete hain, jaise unhonne karm kiya hota hai. dhan-vaibhav, man-saman aur gyan adi ki prapti devon aur rishiyon ki anuknpa se hoti hai, jabaki arogy labh, pushti aur vnsh vriddhi ke lie pitaron ka anugrah jaroori hai. shani ek nyayapriy grah hain. shani dev apane bhakton ko bhay se mukti dilate hain.[1]
pitridosh se mukti
hindoo dharm men amavasya ka vishesh mahatv hai aur amavasya yadi shanivar ke din pade to isaka mahatv aur bhi adhik badh jata hai. shani dev ko amavasya adhik priy hai. unaki kripa ka patr banane ke lie 'shanishchari amavasya' ko sabhi ko vidhivat aradhana karani chahie. 'bhavishyapuran' ke anusar 'shanishchari amavasya' shani dev ko adhik priy rahati hai. 'shanaishchari amavasya' ke din pitaron ka shraddh avashy karana chahie. jin vyaktiyon ki kundali men pitridosh ya jo bhi koee pitri dosh ki pida ko bhog rahe hote hain, unhen is din dan ityadi vishesh karm karane chahie. yadi pitaron ka prakop n ho to bhi is din kiya gaya shraddh ane vale samay men manushy ko har kshetr men saphalata pradan karata hai, kyonki shani dev ki anuknpa se pitaron ka uddhar badi sahajata se ho jata hai.
poojan vidhi
'shani amavasya' ke din pavitr nadi ke jal se ya nadi men snan kar shani dev ka avahan aur darshan karana chahie. shani dev ko nile rng ke pushp, bilv vriksh ke bilv patr, akshat arpan karen. bhagavan shani dev ko prasann karane hetu shani mntr Om shn shanaishcharay nam:, athava Om pran prin praun shn shanaishcharay nam: mntr ka jap karana chahie. is din sarason ke tel, udad ki dal, kale til, kulathi, gud shani yntr aur shani snbndhi samast poojan samagri ko shani dev par arpit karana chahie aur shani dev ka tailabhishek karana chahie. shani amavasya ke din 'shani chalisa', 'hanuman chalisa' ya 'bajarng ban' ka path avashy karana chahie. jinaki kundali ya rashi par shani ki sadhesati v dhaiya ka prabhav ho, unhen shani amavasya ke din par shani dev ka vidhivat poojan karana chahie.
mahatv
'shani amavasya' jyotish shastr ke anusar sadhesati evn dhaiyya ke dauran shani vyakti ko apana shubhashubh phal pradan karate hain. 'shani amavasya' bahut mahattvapoorn mani jati hai. is din shani dev ko prasann karake vyakti shani ke kop se apana bachav kar sakate hain. puranon ke anusar shani amavasya ke din shani dev ko prasann karana bahut asan hota hai. shani amavasya ke din shani dosh ki shanti bahut hi saralata kar sakate hain. is din maharaj dasharath dvara likha gaya 'shani stotr' ka path karake shani ki koee bhi vastu jaise- kala til, lohe ki vastu, kala chana, knbal, nila phool dan karane se shani sal bhar kashton se bachae rakhate hain. jo log is din yatra men ja rahe hain aur unake pas samay ki kami hai, vah saphar men 'shani navakshari mntr' athava 'konasth: pingalo babhru: krishnau raudrontako yam:. sauri: shanishcharo mnd:pippaladen snstut:..' mntr ka jap karane ka prayas karate hain to shani dev ki poorn kripa prapt hoti hai.
kaise karen shanidev ko prasann
shani dev
shani dev ke bhakton ko shani amavasya ke din shani mndir men jakar shani dev ko nile lajavnti ka phool, til, tel, gu़d arpan karana chahie. shani dev ke nam se dipotsarg karana chahie.[2]
shani amavasya ke din ya ratri men 'shani chalisa' ka path, shani mntron ka jap evn 'hanuman chalisa' ka path karen.
is din pipal ke ped par sat prakar ka anaj chadhaen aur sarason ke tel ka dipak jalaen.
til se bane pakavan, udad ki dal se bane pakavan garibon ko dan karen.
udad dal ki khichadi daridr narayan ko dan karen.
amavasya ki ratri men ath badam aur ath kajal ki dibbi kale vastr men bandhakar sndook men rakhen.
shani yntr, shani laauket, kale ghode ki nal ka chhalla dharan karen.
is din nilam ya kataila ratn dharan karen, jo phal pradan karata hai.
kale rng ka shvan (kutta) is din se palen aur usaki bhali prakar se seva karana shuroo karen.
shanivar ke din shani dev ki pooja ke pashchat unase apane aparadhon evn jane-anajane jo bhi apase pap karm hua ho, usake lie kshama yachana karani chahie.
shani maharaj ki pooja ke pashchat 'rahoo' aur 'ketu' ki pooja bhi karani chahie.
is din shani bhakton ko pipal men jal dena chahie aur pipal men sootr bandhakar sat bar parikrama karani chahie.
shanivar ke din bhakton ko shani maharaj ke nam se vrat rakhana chahie.
shanishvar ke bhakton ko sndhya kal men shani mndir men jakar dip bhent karana chahie aur udad dal men khichadi banakar shani maharaj ko bhog lagana chahie. shanidev ka ashirvad lene ke pashchat svayn bhi prasad svaroop khichadi khana chahie.[2]
soory dev ke putr shani dev ki prasannata hetu is din kali chintiyon ko gu़d evn ata dena chahie.
is din kale rng ka vastr dharan karana chahie.
shravan mas men shanivar ka vrat prarnbh karana ati mngalakari mana jata hai.
shani amavasya ke din kale ghode ki nal ya nav ki satah ki kil ka bana chhalla madhyama men dharan karen.
shanivar ko apane hath ki nap ka 19 hath kala dhaga mala banakar pahanen.
shani amavasya shubh ho
'shani amavasya' par bhagavan shani dev se apane samast bure karmon ke lie mafi mang leni chahie aur nimn mntron ka jap karana chahie[2]-
shani mntr v stotr sarvabadha nivarak vaidik gayatri mntr-
"Om bhagabhavay vidmahe mrityurupay dhimahi, tanno shani: prachodayath."
pratidin shradhdanusar 'shani gayatri' ka jap karane se ghar men sadaiv mngalamay vatavaran bana rahata hai.
vaidik shani mntr
"Om shannodeviramishtay apo bhavantu pitaye shnyyorabhisravantun:."
yah shani dev ko prasann karane ka sabase pavitr aur anukool mntr hai. isaki do mala subah sham karane se shani dev ki bhakti v priti milati hai.
kasht nivaran shani mntr nilambar-
"shooladhar: kiriti grighrasthitastrasakaro dhanushmanh. chartubhuj: sooryasut: prashant: sadaastun mahyn varndoalpagami॥"
is mntr se anavashyak samasyaon se chhutakara milata hai. pratidin ek mala subah sham karane se shatru chah kar bhi nukasan nahin pahuncha payega.
sukh-samriddhi dayak shani mntr-
"konasth:pingalo vabhru: krishnau raudrant ko yam:. sauri: shanaishcharau mnd: pippaladen snstut:॥"
is shani stuti ka prat:kal path karane se shani janit kasht nahin vyapate aur sara din sukh poorvak bitata hai.[2]
shani patni nam stuti-
"Om shn shanaishcharay nam: dhvajani dhamini chaiv knkali kalahapriya. kntaki kalahi chaath turngi mahishi aja॥ Om shn shanaishcharay nam:"
yah bahut hi adbhut aur rahasyamay stuti hai. yadi karobari, parivarik ya sharirik samasya ho, tab is mntr ka vidhividhan se jap aur anushthan kiya jaye to kasht koson door rahenge.
panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh
tika tippani aur sndarbh
ऊपर जायें↑ shani amavasya men kya karen (hindi). . abhigaman tithi: 08 joon, 2013.
↑ इस तक ऊपर जायें:2.0 2.1 2.2 2.3 shani jaynti ka mahayog (hindi). . abhigaman tithi: 08 joon, 2013.
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shravan
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varnamala kramanusar lekh khoj
a a i ee u oo e ai o au an k kh g gh n ch chh j jh n t th d dh n t th d dh n p ph b bh m y r l v sh sh s h ksh tr gy ri ri aau shr aah
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How to do Shani Dev Vrat – शनिवार के दिन शनि व्रत
cafehindu.com/festivals/shani-dev-vrat.html
Dec 24, 2008 - शनिवार व्रत की विधि (Shanidev Vrat Vidhi) ..... Sir mai sani dev maharaj ji ki puja karna nahi janta hu or kaya karna h yah b nahi ...... upar likhi baatein thik h magar jab aap shani dev ko khicdi ka bhog lagye toh saath ...
शनि अमावस्या - भारतकोश, ज्ञान का हिन्दी ...
en.bharatdiscovery.org/india/शनि_अमावस्या
Translate this pageshani amavasya ke din bhagavan soory dev ke putr shani dev ki aradhana ... vyaktiyonki kundali men pitridosh ya jo bhi koee pitri dosh ki pida ko bhog rahe hote ... gud shani yntr aur shani snbndhi samast poojan samagri ko shani dev par arpit ... shanivar ke dinshani dev ki pooja ke pashchat unase apane aparadhon evn ...
Shani Dev ko Kaise 10 Tarike se Khush Kare - शनि देव
www.hindiremedy.com/shani-dev-ko-kaise-10-tarike-...
Translate this pageOct 22, 2015 - Kya aap Bhagwan Shani Dev ko khush kare ka koi upay khoj rahe hai? ... Yah samjhana jaruri hai ki Shani dev ko krodh ya gussa q aata hain.
Missing: bhog
shani aradhna ke pramukh mantra - Future Samachar
www.futuresamachar.com/tr/shani-aradhna-2942
... shani puja ke lie baithen. shanidev ki lohe ki murti ko kale til ke dher ke upar ... kabhog lagaen. shani ke in stuti mantron ka shanivar ko pratahkal shani ki hora ... jap ka dashansh havan karen, jiski samagri kale til shamipatra, ghi, nil kamal, ...
Shani Dev Mantra In Hindi | Download Pdf | भगवान शनि ...
dharm.raftaar.in › Hinduism › Mantra - Translate this page
Get Lyrics And Text Of Shani Dev Mantra In Hindi, भगवान शनि देव के मंत्र. ... BhagvanShanidev ki pooja karte samay is mantra ko padhte huye unhe ...
Missing: bhog
Hanuman ko tel, sindur, ruike patte arpan kyon kiya jata hai ...
www.hindujagruti.org › ... › Hindi Articles › Devata
Translate this pageपूजाका एक उद्देश्य यह है कि, पूजी जानेवाली मूर्तिमें चैतन्य निर्माण हो व उसका उपयोग हमारी आध्यात्मिक उन्नतिके लिए ...
Shiv Shankar Bhagwan Ko Prasan Karne Ka Upaye, Dr ...
▶ 0:52
https://www.youtube.com/watch?v=3WAZiSlTtb0
Oct 23, 2012 - Uploaded by Sai Muskan
Shiv Shankar Bhagwan Ko Prasan Karne Ka Upaye, Dr.Ram Kiran Shastri ... Shanidev Ko Kese Khush ...
True Event India » Santoshi Mata Vrat Katha
www.trueeventindia.com/spirituality-in-india/.../santoshi-mata-vrat-katha...
Is vrat ko karney wala katha kahtey sunntey samay haath mein gur aur bhuney huey channey rakhey. sunneywale “Santoshi Mata ki jai”, “Santoshi Mata ki jai”, ...
GuruShakti - Powerful Kali Mantra
www.gurushakti.org.in/41/sadhna/dush.../powerful-kali-mantra
Saw this Kali ma ki mantra as a blessing but not sure if I can start doing this ..... baar mantra ka jaap karna sambhav nahi hai...kya uss mantra ko hakik mala ... aur usse jap karne hetu kisi kriya ya samagri ki awashakta na pade jise ham ... keya ladkeyan periods ke duran bhe shakti puja kar sakti hai ya nahi kirpeya betyan ...
Other Names of Govardhan Puja | Jai Guru Dev
https://omshivam.wordpress.com/tag/other-names-of-govardhan-puja/
Posts about Other Names of Govardhan Puja written by omshiva. ... "Namo nama Shri Guru padukabhyam"Aartii ki Hanumana lalaa kiiAartii ki .... and worship it with flowers, rice, roli, moli, sugarcane and other pooja samagri. ... Pious and Religious people prepared variety of food also known as Chhappan Bhog to Krishna.
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